बरनवालों की कुल देवी कौन हैं? आश्चर्य की बात है कि ये किसी को भी नहीं पता था। स्व० भोलानाथ गुप्ता की 1937 की पुस्तक में बरनवालों के कोई 54 कुल/लकब/अल्ले की चर्चा है। हर कुल के बारे में लिखते समय स्व० गुप्ता उनके कुलदेवता और कुलदेवी की भी चर्चा करते हैं। इन सभी कुलों की कुलदेवी माता चामुंडा लिखी गई हैं। इससे यह कहना उचित होगा कि बरनवालों की कुल देवी माता चामुंडा हैं। फिर मैंने यह भी विचार किया कि क्यों हमारी कुलदेवी माता चामुंडा हैं। बरन के बगल में है कर्णवास, जिसके बारे में किवदंती है कि यहां राजा कर्ण हर दिन उबलते कड़ाहे में कूद कर अपनी आहुति माता चामुंडा को देता था। माता चामुंडा हर दिन उसे जीवित कर के उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर उसे सवा मन सोना देती थी जिसे वो जनता में बांटा करता था। इस कहानी से यह पता चलता है कि माता चामुंडा का कर्णवास का मंदिर महाभारत काल का है। यह कोई आश्चर्य नहीं कि इस इलाके में रहने वाले बरन वालों की कुलदेवी भी माता चामुंडा ही हों। बरन के देवीपुरा में भी माता चामुंडा का प्राचीन मंदिर है। बरन के आस पास अनूपशहर (जिसकी स्थापना भी महाराजा अहिबरन के वंशज राजा अनूप राय ने की थी) और दूसरी जगहों में भी माता चामुंडा के मंदिर विद्यमान हैं। कुलदेवी के बारे में यह कहा जाता है कि उनका मूल मंदिर उस जगह जरुर होना चाहिए जहां से कुल की उत्पत्ति हुई है। इस हिसाब से भी माता चामुंडा हमारी कुलदेवी होती हैं। कुलदेवी कुल की प्रथम पूज्या मानी जाती हैं। पलायन, इतिहास लेखन के अभाव में, आक्रांताओं के डर से पहचान छुपाने के कारण और आजकल के समय में मूल से कट जाने के कारण अक्सर लोग कुल देवी के बारे में भूल जाते हैं। कुछ ऐसा ही बरन वालों के साथ भी हुआ है।

  1. वैसे गूगल करेंगे तो चोटिला, गुजरात में और हिमाचल के कांगड़ा में भी माता चामुंडा के मंदिर अवस्थित हैं।
  2. माता चामुंडा दरअसल माता पार्वती का एक काली अवतार ही हैं जिन्होंने चंड और मुंड नाम के असुरों का वध किया था इसलिए उनका नाम चामुंडा पड़ा था। अध्यात्म में चंड प्रवृत्ति और मुंड निवृति का नाम कहा जाता है और माता चामुंडा अर्थात जगदम्बा प्रवृत्ति और निवृति दोनो से छुटकारा दिलाती हैं और मोक्ष प्रदान करती हैं, इसलिए उन्हें माता चामुण्डा कहा जाता है।
  3. वैसे कहा जाता है कि बरन के बलाई कोट के किले में भी एक काली मंदिर अवस्थित था जिसे मध्य काल में काली मस्जिद बना दिया गया था। आज भी बलाई कोट के किले के भगनवशेषों के सामने आप इस काली मस्जिद को देख सकते हैं।
  4. इसलिए यह तय है कि माता चामुंडा ही हमारी कुलदेवी हैं।
  5. माता चामुंडा का कल्याणकारी मंत्र है:

“।। ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ।।”

बरनवालों के पुरोहित बरनवालों के पुरोहित गौड़ ब्राह्मण कहे जाते हैं.

-अतुल कुमार बरनवाल