हम अहिबरन के वंशज , बरनवाल जयघोष करे ।।
दुखियो के हम दु:ख हरे , दुष्टो पर हम रोष करे ।
हम अहिबरन के वंशज बरनवाल जय घोष करे ।।
धनपाल गुणाधि की संताने, हम योद्धा थे यौधेय थे ।
शहर बरन है जन्मभूमि ,राजकीय अजेय थे ।
सर्व भूमि पर विस्तारित हो , हम धन सम्पदा का कोष भरे ।।
हम अहिबरन के वंशज बरनवाल जयघोष करे ।
दुखियो के हम दु:ख हरे , दुष्टो पर हम रोष करे ।
हम अहिबरन के वंशज बरनवाल जय घोष करे ।।
निस्वार्थ विनम्र स्वभाव है अपना , पालन करते वैश्य धर्म का ।
भाग्य भरोसे नही बैठते ,करते अखंड विश्वास कर्म का ।
मानव समाज की सेवा को , हम सब के जीवन मे जोश भरे ।।
हम अहिबरन के वंशज , बरनवाल जयघोष करे ।।
दुखियो के हम दु:ख हरे , दुष्टो पर हम रोष करे ।
हम अहिबरन के वंशज बरनवाल जय घोष करे ।।
है हृदय मे शक्ति भरी हुई, आगे ही बढ़ते जायेगे ।
मीठी वाणी समृद्धि से विन्ध्य पर्वत को चढ़ जायेगे ।
दान धर्म मे प्रवीण है हम , विनम्रता का कोष झरे ।।
हम अहिबरन के वंशज बरनवाल जयघोष करे ,
दुखियो का हम दुख हरे , दुष्टो पर हम रोष करे ।
हम अहिबरन के वंशज बरनवाल जयघोष करे।।
-प्रवीण बरनवाल, विंध्याचल धाम